जागते सपने

मैं सपने देखता हूं..
दिलकश, अच्छे और खूब रंग-बिरंगे
दिखता है हर शख्स जो मुझे अच्छा लगता है
और हर वो चीज जो मुझे खुशी देती है
हां..मैं सपने बहुत देखता हूं..लेटे हुए उनींदे से..पर जागते हुए


मैं जानता हूं कि मैं सो नहीं रहा..
पर मालूम है कि सब ख्वाब है
अच्छा ये कि जो दिख रहा है वह सब मेरा है
मैं जैसे चाहूं और जो चाहूं वो देखता हूं
हां ..मैं सपने बहुत देखता हूं ..लेटे हुए उनींदे से..पर जागते हुए


कल मैंने उसको देखा काफी अरसे बाद
दिल बहुत जोर से धड़क रहा था
मेरा भी और उसका भी..एक साथ
वो बोली तुम..तुम क्यों आ गए
मैं मुस्कराया थोड़ी सी शरारत से
वो घबरायी..पहले जैसी नज़्ााकत से..फिर ..फिर..
हां..मैं सपने बहुत देखता हूं..लेटे हुए उनींदे से..पर जागते हुए


रात के तीसरे पहर की तन्हाई में
बदलते करवटों के बीच झपकी अभी लगी ही थी
तभी जैसे किसी ने आहिस्ता से कहा..कैसे हो बेटा
मैने सुना ..हां वो मम्मी ही थीं
बिलकुल वही आवाज, 22 साल पहले जैसी
जब आखिरी बार सुना था मैंने उनको
हां..मैं सपने बहुत देखता हूं, लेटे हुए उनींदे से ..पर जागते हुए

Comments

  1. माँ की याद....उनकी बातों की याद ..हमारे अवचेतन मन में शायद हमेशा रहती है ...
    बढ़िया लिखा है ..ऐसे ख्वाब देखते रहना .

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  2. Nice thought
    We want more.

    Arvind

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  3. Pahle Padha...
    Man Mein Kuch Bhaav The...
    Last Para Padha To Dard Bol Pada...
    Kuch Yaad Aa Gaya Mujhe Bhi...
    Aankhon Ke Kinaare Halke Se Bheege...
    Kaash...Aansuon Ki Seedhi Aur Gamon Kaa Pul Banta To Main Aapko Swarg Se Le Aata...
    Zaroor...
    Super Like...
    Tarun...

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