महकने लगी हवायें

महकने लगी हवायें मौसम हुआ सुहाना
गुजारिश है तुमसे जरूर खवाबों मे आना
हम बैठेंगे घने कोहरे मे उसी पेड़ के नीचे
जो गिर गया तूफा मे बन चुका अफसाना 


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