ओस मे भीगी चांदनी चुनरी ओढे चाँद मेरा
बड़ी
अच्छी महक आ रही है। शायद कहीं रातरानी खिली है। रात गहरी और खुशबू लगातार
गाढ़ी होती जा रही है। नींद तो पिछली कई रातों से गायब है। हल्की ठंडी हवा।
खुला आसमान और छत पर मैं अकेला। चार छत छोड़कर दोमंजिले पर दो खड़ी
चारपाइयों के बीच एक टेबिल लैंप जल रहा है। एक छाया झुककर कुछ पन्ने पलटती
और फिर थोड़ी थोड़ी देर में उसे दोहराती। मुझे कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा और न
मैं कुछ देख पा रहा हूं, थोड़ी ठंड लग रही है। सोचता हूं सारी रात मैं उस
टेबिल लैम्प को तापूं- मेरी एक कहानी का हिस्सा बनेगा शायद यह टुकड़ा
Comments
Post a Comment